पहले मॉनसून में देरी और फिर बाद में भारी बारिश के कारण प्याज की फसल प्रभावित हुई है। इसके चलते प्याज महंगा हो गया है। बढ़ती कीमतों को देखते हुए 6 नवंबर को केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव स्तरीय बैठक में प्याज का आयात करने का निर्णय लिया गया। बैठक की अध्ययक्षता केंद्रीय मंत्री रामबिलास पासवान की।
बैठक के बाद बताया गया कि तुर्की, मिस्र और अफगानिस्तान से प्याज आयात के लिए विदेश मंत्रालय से मंजूरी मांगी गई है। सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में पासवान के हवाले से बताया गया है कि इस बार मॉनसून में देरी की वजह से कई इलाकों से बुआई देर से हुई है। वहीं, कुछ इलाकों में पिछले कुछ दिनों के दौरान भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसल बर्बाद हो गई है। इस वजह से प्याज मंडी तक नहीं पहुंच पाया है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस साल एक अक्टूबर को प्याज की कीमत 55 रुपए किलो थी, लेकिन महाराष्ट्र जैसे प्याज उत्पादक राज्य में भारी बारिश के बाद इसकी आपूर्ति पर असर पड़ा है और इन दिनों खुदरा बाजार में 100 रुपए किलो से अधिक कीमत पर प्याज बिक रहा है। पिछले साल नवंबर 2018 में खुदरा बाजार में प्याज का भाव 30-35 रुपए किलो था। लेकिन इस साल यह बढ़ता जा रहा है।
सरकार का दावा है कि पहले ही प्याज निर्यात बंद कर दिया गया था और लगभग 57 हजार टन का बफर स्टॉक तैयार किया गया है। हालांकि अभी भी इसमें 1500 टन की कमी है। लेकिन चूंकि एक तय समय के बाद प्याज खराब होने लगता है, इसलिए सरकार का कहना है कि स्टॉक को सीमित रखा गया है।
वहीं सरकार का यह भी कहना है कि महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक में नई फसल की आवक शुरू हो रही है। फिलहाल बेमौसम बारिश की वजह से इन्हें उपभोक्ता क्षेत्रों तक लाने में दिक्कत हो रही है। इससे प्याज की कीमत कम हो सकती है।