भारतीय किसान यूनियन ने कोरोनावायरस और लॉकडाउन की वजह से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में भाकियू ने कहा है कि लाॅकडाउन के चलते सब्जियों व फल के किसानों को 80 प्रतिशत, फूल के किसानों को 100 प्रतिशत व दूध के किसान को 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है।
पत्र में कहा गया है कि लाॅकडाउन की घोषणा उस समय करनी पड़ी, जब किसान रबी की कटाई एवं खरीफ की बुवाई की तैयारी कर रहा था। असमय बारिश के कारण किसानों की फसलों की कटाई 15 दिन लेट हो चुकी थी। लाॅकडाउन की घोषणा के बाद किसानों की फसलों की कटाई हेतु मजदूर मिलना मुश्किल हो गया। जिसके चलते किसानों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया।
इतना ही नहीं, परिवहन के साधन बंद होने के कारण किसानों की फल, सब्जी या तो खेत में सड़ गए या उनके भाव नहीं मिले। जिसके चलते किसानों को अपनी फसलों को फेंकने या नष्ट किये जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। देश के तमाम हिस्सों से टमाटर, लौकी, तुरई, खीरा, अंगूर, सन्तरा, लोकाट, लीची को फेंकने की खबरें आ रही हैं। जिसके चलते किसानों के पास खरीफ की बुवाई का संकट है।
किसान असमंजस में है कि आखिर उनकी समस्या सुलझाने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। इस संकट की घडी में भी किसान जान हथेली पर रखकर खेत में कार्य कर रहा है। आज किसानों के दम पर ही देश कोरोना से लड़ पा रहा है। अगर देश में खाद्य सुरक्षा न होती तो कोरोना से ज्यादा भूख से मौतें हो चुकी होती।
पत्र में भाकियू की मांग है कि -
1. लाॅकडाउन के अन्तर्गत फल, सब्जी, दूध, पोल्ट्री, फिशरीज, मधुमक्खी पालक, फूल उत्पादक किसानों के नुकसान की भरपाई हेतु भारत सरकार द्वारा अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ का पैकेज दिया जाए।
2. किसान सम्मान निधि का लाभ पहली किश्त की तरह सभी किसानों को दिया जाए। किसान सम्मान निधि की राशि को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 24 हजार रुपये किया जाए।
3. किसानों की सभी तरह की फसलें कपास, गेंहू, चना, सरसों, सब्जियों की खरीद की जाए।
4. लम्बे समय से मौसम की मार झेल रहे किसानों को गेंहू पर 200 रुपये कुन्तल बोनस दिया जाए।
5. किसानों के सभी तरह के कर्ज के ब्याज पर एक साल की छूट व खरीफ की बुवाई में खाद, बीच की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
6. फल, सब्जी, फूल उत्पादक किसानों की फसली ऋण माफ किए जाएं।
7. देश में अन्न की आत्मनिर्भरता के साथ-साथ दलहन व खाद्य तेल में भी देश को आत्मनिर्भर बनाया जाए। कृषि आयात पर देश की निर्भरता को समाप्त करने हेतु खाद्य तेल व दलहन उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनकी फसलों की सरकारी खरीद की जाए।