कृषि

धान, मूंग, उड़द, अरहर, मक्का सहित कई फसलों के एमएसपी में इजाफा, जानें कितना

सरकार की मानें तो एमएसपी में की गई यह वृद्धि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके, इसको ध्यान में रखकर की गई है

Lalit Maurya

केंद्र सरकार ने धान, मूंग, उड़द, अरहर, मक्का सहित कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। सरकार ने इस बात का फैसला बुधवार को कैबिनेट की हुई बैठक में लिया है।

गौरतलब है कि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार एमएसपी तय करती है। एमएसपी की यह नई दरें 2023-24 के लिए जारी की गई हैं। सरकार की मानें तो यह वृद्धि किसानों को उनकी उपज का पूरा फायदा मिल सके और फसलों में विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए की है।

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जहां धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में सात फीसदी की वृद्धि की गई है। इसका एमएसपी 2022-23 में 2,040 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2183 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसी तरह मक्के की कीमतों में 6.5 फीसदी की वृद्धि की गई है। इसका एमएसपी अब बढ़कर 2,090 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है।

फसलों के समर्थन मूल्य में सबसे ज्यादा वृद्धि मूंग, तिल और लम्बे रेशे वाले कपास में देखने को मिली है। जिसमें करीब दस फीसदी की वृद्धि की गई है। इसी तरह मूंगफली और मध्यम रेशे वाले कपास के न्यूनतम मूल्य में नौ फीसदी की वृद्धि हुई है। मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य अब 5,850 रूपए प्रति क्विंटल से बढाकर 6,377 रूपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

सरकार का दावा है कि एमएसपी में की गई यह वृद्धि 2018-19 के केंद्रीय बजट में किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाने की घोषणा के अनुरूप है।

सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक खरीफ फसलों के लिए जारी इन नई दरों के बाद किसानों को बाजरे की लागत का 82 फीसदी लाभ मिलेगा। वहीं तुअर के मामले में 58 फीसदी, सोयाबीन के लिए 52 फीसदी और उड़द से 51 फीसदी फायदा होने का अनुमान है। वहीं अन्य फसलों की एवज में भी किसानों को उनकी लागत का 50 फीसदी नफा होने का अनुमान लगाया गया है।

 हाल के वर्षों में सरकार लगातार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि करके दलहन, तिलहन और अन्य पोषक अनाजों को बढ़ावा दे रही है। 

इससे पहले 2022-23 के लिए जारी तीसरे अग्रिम अनुमान में कहा गया था कि देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन के रिकॉर्ड 33.05 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा, जो पिछले वर्ष (2021-22) की तुलना में 1.49 करोड़ टन अधिक है। यदि यह आंकड़े सच होते हैं तो यह पिछले पांच वर्षों में होने वाली सबसे अधिक वृद्धि को दर्शाते हैं।