हिमाचल के किन्नौर जिले में प्राकृतिक खेती करने वाली महिला किसान। फाइल फोटो : रोहित पराशर 
कृषि

जैव संसाधन केंद्र स्थापित करने के लिए वित्तीय मदद पर्याप्त नहीं

केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती में बदलाव के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए

Shagun

केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती में बदलाव लाने में मदद के लिए जैव संसाधन केंद्र (बायो रिसोर्स सेंटर) स्थापित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि घोषित वित्तीय सहायता इन केंद्रों की स्थापना के लिए पर्याप्त नहीं है। सरकार के दिशा-निर्देशों में सुझाव दिया गया है कि स्थानीय किसानों, स्थानीय भूमि-उपयोग पैटर्न, मिट्टी के प्रकार और स्थानीय रूप से प्रचलित फसल प्रणालियों की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किए जाने चाहिए। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) के अंतर्गत जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (बीआरसी) स्थापित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

ध्यान रहे कि गत 23 अप्रैल 2025 को प्रकाशित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत प्रत्येक केंद्र की स्थापना के लिए एक लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, लेकिन विशेषज्ञों ने इस बात के संकेत दिए है कि यह राशि बीआरसी को सफलतापूर्वक स्थापित करने और उसे चलाने के लिए इतनी अधिक नहीं है कि किसानों को प्राकृतिक खेती में बदलाव लाने में मदद कर सके। बीआरसी एक क्लस्टर-स्तरीय उद्यम हैं, जिसका उद्देश्य स्थानीय उत्पादन, उपलब्धता और प्राकृतिक खेती के लिए तैयार जैविक इनपुट की आपूर्ति का समर्थन करना है, ऐसे किसानों के लिए जो व्यक्तिगत रूप से इनका उत्पादन करने में सक्षम नहीं हैं। जैव इनपुट के साथ-साथ इसे प्राकृतिक खेती से संबंधित ज्ञान और अनुभव को उन किसानों तक पहुंचाने के लिए एक केंद्र के रूप में भी इयकी कल्पना की गई है, जो प्राकृतिक या जैविक खेती में बदलाव के दौरान चुनौतियों का सामना करते हैं। ध्यान रहे कि इस पहल की घोषणा सबसे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट भाषण के दौरान की थी, जिसमें 10,000 बीआरसी स्थापित करने की योजना बनाई गई थी।

प्राकृतिक खेती के लिए बीआरसी इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? केंद्र सरकार की इस पहल के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और देश भर में रासायनों पर किसानों की निर्भरता को कम करने के लिए 25 नवंबर, 2024 को एनएमएनए शुरू किया गया था। हालांकि प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाते समय किसानों को गुणवत्तापूर्ण इनपुट की अनुपलब्धता के साथ-साथ इस संबंध में संपूर्ण जानकारी की कमी और उचित व लाभकारी मूल्य पाने जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा भारत में जैव उर्वरकों और जैविक उर्वरकों की स्थिति नामक अध्ययन में देश में जैविक और जैव-इनपुट की खराब स्थिति पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में जैविक या प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में किसानों की सहायता के लिए जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। दिशा-निर्देशों के अनुसार बीआरसी के पास पशुधन, पौधे-आधारित बायोमास जैसे कच्चे माल तक पहुंच होनी चाहिए। उन्हें प्राकृतिक वसायुक्त जैव-इनपुट के उपयोग, उनकी खुराक के बारे में किसानों के साथ ज्ञान भी साझा करना चाहिए।

सरकारी दिशा-निर्देसर्शों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि  बीआरसी उद्यमी समूह या इकाई को प्राकृतिक खेती करनी चाहिए या ऐसे सदस्यों को प्राकृतिक खेती का पूर्व अनुभव होना चाहिए। यदि कोई सदस्य शुरू में प्राकृतिक खेती नहीं कर रहा है तो कृषि सचिव प्रभारी की अध्यक्षता में राज्य प्राकृतिक खेती प्रकोष्ठ ऐसे किसान उद्यमी की पहचान करेगा जो तत्काल फसल मौसम से प्राकृतिक खेती शुरू करने और उसका अभ्यास करने के लिए इच्छुक हों। स्थानीय किसानों, स्थानीय भूमि-उपयोग पैटर्न, मिट्टी के प्रकार और स्थानीय रूप से प्रचलित फसल प्रणालियों की आवश्यकताओं के अनुसार जैव-इनपुट तैयार किए जाने चाहिए। राज्य प्राकृतिक खेती प्रकोष्ठ और जिला स्तरीय निगरानी समिति को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि बीआरसी में बेचे जाने वाले जैव-इनपुट की लागत छोटे और सीमांत किसानों सहित सभी प्रकार के किसानों के लिए वहन करने योग्य होनी चाहिए। बीआरसी स्थापित करने के लिए 50,000 रुपए की दो किस्तों में 1 लाख रुपए की वित्तीय मदद प्रदान की जाएगी। दिशा-निर्देशों में किसानों को संगठित करने और उन्हें बीआरसी के बारे में जागरूक करने के लिए 10,000 एफपीओ के गठन बात कही गई है।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में कृषि अर्थशास्त्री मंजुला एम ने कहा, “यदि केंद्र स्थापित करने वाले व्यक्ति के पास भूमि और अन्य प्रकार की भौतिक संरचना है और यदि यह केवल केंद्र स्थापित करने और उत्पादन के संदर्भ में इसे चलाने के बारे में है तो यह 1 लाख रुपए पर्याप्त है, अन्यथा यह राशि पर्याप्त नहीं है क्योंकि भूमि की लागत, शेड निर्माण जैसे अन्य भौतिक बुनियादी ढांचे जैसे कारक हैं जो 1 लाख रुपए के भीतर नहीं किए जा सकते हैं।” ध्यान रहे कि सरकारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वित्तीय सहायता में शेड, परिसर का किराया या ऐसे अन्य खर्च शामिल नहीं किए गए हैं।