कृषि

किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, सरकार कृषि कानून पर रोक लगाए या हम लगाएं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार ने बिना विचार विमर्श के कानून बना दिया, जिसकी वजह से प्रदर्शन हो रहे हैं

DTE Staff

कृषि कानूनों के विरोध कर रहे किसानों के मुद्दे को सुलझाने में विफल रही सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने आज हड़काया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सरकार इन कानूनों को होल्ड करती है या हम रोक लगा दें?

तीन सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि सरकार जिस तरह से इस मामले से निपट रही है, वह बेहद निराशाजनक है और वर्तमान में दोनों पक्षों के बीच जो बातचीत हो रही है, वह किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच रही है।

बोबड ने कहा कि हमें दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि केंद्र सरकार इस समस्या का समाधान करने में सक्षम नहीं दिख रही है। आपने (सरकार) बिना विचार विमर्श के कानून बना दिया, जिसकी वजह से प्रदर्शन हो रहे हैं। इसलिए आपको ही इस आंदोलन का समाधान करना है।

अदालत ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि सरकार कानून वापस ले ले, बल्कि यह कह रहे हैं कि सरकार कानून को लागू करने से रुक जाए, तब तक एक कमेटी इन कानूनों के बारे में विचार विमर्श करेगी। अदालत ने वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे से कहा कि वह किसान संगठनों के पास जाकर अदालत के विचारों से अवगत कराएं। 

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि इस कानून के लागू होने के बाद 2,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपज बेचने के लिए कांट्रेक्ट कर लिए हैं। ऐसे में, यदि कानून पर रोक लगाई जाती है तो इससे इन किसानों को काफी नुकसान होगा।

सरकार द्वारा यह तर्क दिया गया कि कई किसान संगठन इन कानून के समर्थन में हैं तो अदालत ने कहा कि इस पर उनकी कोई राय नहीं है। अदालत ने किसानों से अपना प्रदर्शन वापस लेने के निर्देश देने से भी इंकार कर दिया।  

बेंच ने कहा कि अदालत यह आदेश नहीं दे सकती कि नागरिकों को प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। किसान कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में कमेटी को बताने का मौका दिया जाना चाहिए। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही अदालत कोई निर्णय लेगी।

किसान संगठन जल्द ही अदालत की इस कार्रवाई के बारे में अपनी राय जाहिर करेंगे।