कृषि

किसान आंदोलन: सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त मोर्चा सहमत, सरकारी 'आदेश' का इंतजार

केंद्र सरकार की ओर से आए प्रस्ताव के ड्राफ्ट को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने सहमति जताई

DTE Staff


दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान अब संतुष्ट हो गए हैं। सरकार की ओर से आए प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा ने सहमति जताई है, लेकिन कहा है कि सरकार कल तक लिखित आदेश जारी करे, उसके बाद ही आंदोलन वापस लेने का फैसला लिया जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने 8 दिसंबर की शाम को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि 7 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार की ओर से आए प्रस्ताव को लेकर कुछ आपत्तियां जताई थी। ये आपत्तियां सरकार को भेजी गई। 8 दिसंबर की सुबह जो नया प्रस्ताव सरकार की ओर से आया, उसको लेकर एसकेएम की बैठक हुई। बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर सहमति जताई गई और निर्णय लिया गया कि इस प्रस्ताव को कल तक सरकार लिखित में आदेश जारी कर दे तो कल की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।  

सरकार से बातचीत करने के लिए संयुक्त मोर्चा की ओर से बनाई पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार की ओर से आज जो ड्राफ्ट आया है, उसमें क्या लिखा है, यह अभी नहीं बताया जाएगा, लेकिन यह जरूर है कि हमने जो आपत्तियां जताई थी, सरकार ने उससे दो कदम आगे बढ़ कर नए ड्राफ्ट भेजा है, जिससे हम सब सहमत हैं।

समिति के सदस्य युद्धवीर सिंह ने कहा कि अभी जो प्रस्ताव सरकार ने भेजे हैं, वो अभी केवल ड्राफ्ट है। अब हमारी सरकार से अपील है कि वह इस ड्राफ्ट के अनुरुप सरकारी प्रक्रिया पूरी करे और इस संदर्भ में  सरकारी आदेश या अधिसूचना जारी करे, जिसके बाद फिर से कल (9 दिसंबर 2021) संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी, उसके बाद ही आंदोलन को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि इस ड्राफ्ट के मुताबिक अब सरकार से किसी तरह के विवादित मुद्दे नहीं रहे। हालांकि उन्होंने इन मुद्दों के बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

गौरतलब है कि 7 दिसंबर की संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कुछ मुद्दों पर आपत्ति जताई गई थी। कहा गया था कि सरकार किसानों के ऊपर दर्ज मामलों को वापस लेने संबंधी आदेश तुरंत जारी करे। हालांकि सरकार ने कहा था कि जिन राज्यों में मामले दर्ज हैं। उनमें से हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने मुकदमे वापस लेने के बारे में सैद्धांतिक सहमति दे दी है। 

किसान मोर्चा का यह भी कहना था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने के लिए जो कमेटी बनाई जाएगी, उसनमें संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को शामिल किया जाए। साथ ही आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा दिया जाए।

गौरतलब है कि सरकार तीनों कृषि कानून पहले ही वापस ले चुकी है। किसान लगभग एक साल से कृषि कानून को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं।