मिर्जापुर जिला के हलिया क्षेत्र के गांव ददरी के रहने वाले किसान सुखलाल ने फरवरी महीने में क्रय केंद्र पर धान से भरा ट्रैक्टर ले कर गए, लेकिन उनके धान की तौल होने में 10 दिन लग गए। सुखलाल की 55 क्विंटल धान की तौल तो हो गई, लेकिन आज भी आधा धान का पैसा नहीं मिला। अभी भी उन्हें 50900 रुपए का इंतजार है। पैसा न मिलने की वजह से सुखलाल न तो किसान क्रेडिट कार्ड का बकाया जमा कर पा रहे हैं और न ही ट्रैक्टर का लोन जमा हो पा रहा है।
इसी तरह हलिया क्षेत्र के असमान पट्टी गांव के रहने वाले कमला शंकर नामक किसान ने जनवरी महीने 71.20 क्विंटल धान की बिक्री क्रय केंद्र पर की। कमला शंकर बताते हैं कि उन्होंने जनवरी महीने में ही ट्रैक्टर पर धान लाद कर क्रय केंद्र ले गए, लेकिन तौल करने में एक महीना लग गया और अब पैसे का इंतजार कर रहे हैं। हम पूरी तरह से खेती पर निर्भर हैं, ऐसे में पैसा न मिलने से सारा कार्य रूका है।
इसी तरह मीरजापुर जनपद के उसरी पांडेय गांव के रहने वाले किसान भूपेंद्र प्रसाद दूबे ने 116 क्विंटल धान की बिक्री की, लेकिन अब तक उन्हें पैसा नहीं मिला। भूपेंद्र प्रसाद दूबे कहते हैं कि फरवरी में ही इस बाबत उन्हें मैसेज भेज दिया गया, लेकिन अब तक पैसा नहीं मिला। लॉकडाउन के दौर में पैसा न मिलने से समस्या और गंभीर हो गई है।
बता दें कि प्रदेश के कई जिलों में अनेक किसान ऐसे हैं , जिन्हें अब तक धान की बिक्री का पैसा नहीं मिला है। गेंहू की बिक्री शुरू हो गई और अब तक जिन किसानों को धान का पैसा नहीं मिला, उनकी स्थिति काफी चिंताजनक है।
उत्तर प्रदेश के सोनांचल क्षेत्र के मिर्जापुर में धान की बिक्री करने वाले किसानों के 3.66 करोड़ रुपए और सोनभद्र में धान की बिक्री करने वाले किसानों के 7.43 करोड़ रुपए बकाया हैं। अर्थात सोनांचल के इन दोनों जनपदों के किसानों को आज भी 11.09 करोड़ रुपए का इंतजार है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मिर्जापुर के जिला सहकारी बैंक लिमिटेड के चेयरमैन राजेंद्र सिंह ने इस बाबत उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को पत्र लिखकर मांग की है कि धान की बिक्री करने वाले किसानों का बकाया का भुगतान तत्काल किया जाए। मजे की बात यह है कि पिछले सप्ताह इस मामले में प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा से डाउन टू अर्थ ने बात की तो उन्होंने कहा कि थोड़े से किसान रह गए हैं, उनका भुगतान तत्काल कर दिया जाएगा। लेकिन एक सप्ताह बाद भी किसानों को धान की बिक्री के पैसे का इंतजार है।
आज भी गोदामों में धान भरा है:
जनपद की 16 सहकारी समितियों से अभी तक 4528 मीट्रिक टन धान का उठान नहीं होने से सहकारी समितियों के गोदाम धान से भरे हैं। गेंहू की बिक्री शुरू हो गई है, जिससे किसानों से खरीद की हुई गेंहू को खुले में रखने को मजबूर हैं एवं बेमौसम बारिश से गेंहू के भींगने की आशंका है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक कहते हैं कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में आज भी अनेक किसान हैं, जिन्हें धान की बिक्री का पैसा अब तक नहीं मिला। लॉकडाउन के दौर में किसान पहले ही परेशान है। गेंहू की बिक्री का समय आ गया, लेकिन अभी तक धान का पैसा न मिलने पर किसानों को दोहरी समस्या झेलनी पड़ रही है। सरकार को किसानों को धान की बिक्री का बकाया भुगतान तत्काल करना चाहिए।