सोमवार, 10 फरवरी को बिहार की राजधानी में आयोजित बजट पूर्व परिचर्चा में किसानों ने जैविक खेती से संबंधित कई प्रस्ताव राज्य के वित्त मंत्री के समक्ष पेश किए। उन्होंने कहा कि जिस तरह गंगा तट के किनारे जैविक कॉरिडोर बन रहा है। ऐसे ही कॉरिडोर बिहार राज्य के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे भी बनने चाहिए। उन्होंने राज्य के सभी 38 जिले में न्यूनतम एक हजार एकड़ भूमि पर जैविक खेती शुरू कराने, लघु एवं सीमांत किसानों को जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए 90 फीसदी तक सब्सिडी देने और हर प्रमंडल में कम से कम एक गांव को जैविक ग्राम बनाने की योजना का प्रस्ताव रखा।
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जो राज्य के वित्त मंत्री भी हैं, ने बजट से पूर्व राज्य के दो दर्जन किसानों को परिचर्चा के लिए राजधानी पटना में आमंत्रित किया था। इस परिचर्चा में बिहार के इकलौते जैविक ग्राम जमुई जिले के केडिया से भी दो किसान राजकुमार यादव और आनंदी यादव आये थे। इन दोनों किसानों ने वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी को 12 बिंदुओं वाला मांग पत्र सौंपा।
इस मांग पत्र में इन दोनों किसानों ने इन सुझावों के अलावा राज्य के कृषि विश्व विद्यालयों में जैविक कृषि को लेकर शोध तेज करने, जिलों में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए अलग से अधिकारी नियुक्त करने, जैविक किसानों को पर्यावरण संरक्षण हेतु नियमित प्रोत्साहन राशि देने और जैविक उत्पादों को अधिक मूल्य देकर सरकारी खरीद शुरू करने की मांग की है।
सोमवार को राज् के मुख्य सचिवालय स्थित सभागार में आयोजित इस बजट पूर्व परिचर्चा बैठक में उप मुख्यमंत्री ने इन किसानों को भरोसा दिलाया कि वे इस साल राज्य के 21 हजार एकड़ जमीन पर जैविक खेती करवायेंगे। किसानों को जैविक इनपुट के लिए 11,500 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ-साथ जैविक खेती प्रोत्साहन योजना के तहत अगले तीन वर्षों में 155.88 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।
इस बैठक में शामिल होने आये अन्य किसानों ने भी अपने सुझाव वित्त मंत्री के समक्ष रखे। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य के 1.20 करोड़ किसान सरकार के साथ पंजीकृत हैं और उन्हें समय-समय पर विभिन्न योजनाओं के जरिये 1157.21 करोड़ रुपये की कृषि इनपुट सब्सिडी दी गयी है. आगामी बजट में भी किसानों के हितों का ख्याल रखा जाएगा।