कृषि

बासमती के गिरते भाव से सदमे में किसान, छोड़ सकते हैं खेती

उत्तर प्रदेश में 1500, हरियाणा में 1700 और पंजाब में 1800 रुपए प्रति क्विंटल हुआ बासमती का भाव

Bhagirath

पानीपत जिले के हल्दाना गांव में रहने वाले नवाब सिंह अगले साल से बासमती नहीं उगाने का मन बना चुके हैं। बासमती की खेती में हर साल हो रहे घाटे को देखते हुए उन्होंने फैसला किया है कि आगे से वह मोटा चावल (साधारण चावल) उगाएंगे। नवाब सिंह ने इस साल 11 एकड़ में बासमती उगाया है। इसमें से 4 एकड़ खेत उनका खुद का है और शेष उन्होंने 41 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से पट्टे पर लिया है। उन्होंने 7 एकड़ के खेत में बासमती-1718 और साढ़े चार एकड़ में बासमती-1121 वैरायटी उगाई है। बासमती से मोहभंग होने की वजह बताते हुए वह कहते हैं, “मैं समालखा मंडी में जब बासमती-1718 लेकर पहुंचा तो 2,151 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिला। मंडी में बासमती-1121 का भाव भी 2,300-2,400 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है। इस भाव पर लागत भी नहीं निकल पा रही है।” वह बताते हैं कि 2015 से बासमती के भाव लगातार गिर रहे हैं। इस साल भाव अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं। ऐसी स्थिति में बासमती की खेती करने का कोई मतलब नहीं रह गया है।

पानीपत जिले के डिंडवाड़ी गांव के रहने वाले शमशेर सिंह भी बासमती के गिरते भाव से इस कदर निराश हो चुके हैं कि बासमती की खेती से तौबा कर सकते हैं। पानीपत अनाज मंडी में तीन दिन से वह अपनी उपज बेचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक कामयाबी नहीं मिली है। उन्होंने अपने तीन के एकड़ के खेत में बासमती धान की 1509 वैरायटी उगाई थी। वह बताते हैं कि बासमती-1509 का बाजार भाव 1,700 रुपए प्रति क्विंटल है। यह भाव एमएसपी पर बिकने वाले साधारण चावल से भी कम है। इतने कम भाव पर भी खरीद नहीं हो पा रही है। व्यापारी कभी नमी तो कभी खराब गुणवत्ता का बहाना बनाकर उपज खरीद से इनकार कर रहे हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में बासमती का इतना कम भाव नहीं देखा है।

हरियाणा की तरह ही पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी बासमती का भाव औंधे मुंह गिर गया है। दिल्ली की नजफगढ़ मंडी में बासमती 2,300-2,400 रुपए, पंजाब में 1,800-2,000 और उत्तर प्रदेश में 1,500-1,600 रुपए के भाव पर बिक रहा है। दिल्ली के घुम्मनहेड़ा गांव के किसान दयानंद बताते हैं, “एक एकड़ में बासमती की खेती की लागत करीब 40 हजार रुपए बैठती है। यह लागत साल दर साल बढ़ रही है, जबकि भाव लगातार कम होता जा रहा है।” साल 2014 में बासमती का अधिकतम भाव 4,500 रुपए प्रति क्विंटल था। उसके बाद से भाव हर साल गिर रहा है। आशंका है कि जैसे-जैसे मंडी में बासमती की आवक बढ़ेगी, भाव और कम हो सकता है। दयानंद बासमती की खेती को घाटे का सौदा मानते हैं। वह बासमती केवल इसलिए उगाते हैं क्योंकि उनके खेत में कोई दूसरी फसल नहीं होती। उनके घर के खर्चे डेरी फार्मिंग से पूरे हो रहे हैं।  

दिल्ली के ढांसा गांव के रहने वाले सुखवीर के लिए भी बासमती की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। कम उपज, बढ़ती लागत और गिरते भाव को देखते हुए वह साधारण चावल की खेती करना चाहते हैं, लेकिन वह चाहकर भी ऐसा नहीं पा रहे हैं क्योंकि दिल्ली में एमएसपी पर खरीद 2014 के बाद से बंद है। खुले बाजार में साधारण चावल का भाव न मिलने के चलते वह मजबूरी में बासमती की खेती कर रहे हैं।    

बासमती उगाने वाले इन राज्यों और किसानों का यह हाल तब है जब दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत 7 राज्यों के बासमती को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग हासिल है। इस टैग केवल उन्हीं उत्पादों को हासिल होता है जो किसी विशेष क्षेत्र में विशेष खूबियों वाले होते हैं।