बलिराम सिंह
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान केवल लेट भुगतान की समस्या से ही त्रस्त नहीं हैं, बल्कि गन्ना मिल संचालकों एवं उनके कर्मचारियों की मनमानी से भी परेशान हैं। प्रदेश के कई जिलों में गन्ना किसानों को समय से पर्ची न मिलने की वजह से किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश के बस्ती, गोंडा, सिद्धार्थनगर, सुल्तानपुर सहित कई जिलों में किसानों के साथ इस तरह की दिक्कत आ रही है।
सुल्तानपुर के कूरेभार ब्लॉक के लोकेपुर गांव के जागरूक किसान अंजनी वर्मा कहते हैं कि उन्होंने 10 बिगहा में गन्ना की खेती की है, लेकिन अब तक गन्ना खेत से नहीं निकल पाए हैं। यदि जनवरी के अंत तक भी गन्ना निकल जाएगा तो गेहूं की बुआई कर दूंगा, अन्यथा अगले महीने के अंत तक उरद की बुआई करूंगा। इसी तरह पास के गांव जूरा पट्टी में अरविंद यादव भी 5 बिगहा गन्ना की खेती की है, लेकिन अब तक पर्ची नहीं मिली। अंजनी वर्मा कहते हैं कि क्षेत्र के लगभग 50 प्रतिशत किसानों को अब तक पर्ची नहीं मिली। सुल्तानपुर स्थित किसान सहकारी चीनी मिल आए दिन खराब रहती है। जिसकी वजह से सामान्य किसानों को पर्ची नहीं मिल पा रही है। इस बाबत हमने मांग की थी कि वैकल्पिक तौर पर अयोध्या के मसौदा चीनी मिल पर व्यवस्था कर दी जाए, लेकिन व्यवस्था नहीं की गई। हम जिला गन्ना अधिकारी, गन्ना आयुक्त और सीएम पोर्टल पर भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समस्या का निदान नहीं हो रहा है।
इसी तरह गोंडा जनपद के कूक नगर के रहने वाले कृष्ण कुमार अपने 6 बिगहा के खेत में गेहूं की बोआई करना चाहते थे, लेकिन अभी तक खेत से गन्ना खाली नहीं हो पाया। उन्हें पहली पर्ची 24 दिसंबर को मिली। कृष्ण कुमार यह भी कहते हैं कि उन्होंने उन्नत किस्म (अर्ली) की गन्ने की खेती की है, बावजूद इसके पर्ची इतनी देर से मिली।
बस्ती के प्रगतिशील किसान आज्ञाराम वर्मा कहते हैं कि आम तौर पर पर्चियां अर्ली किस्म (हाई सुगर क्वालिटी) की प्रजाति वाले गन्ने की खेती करने वाले किसानों को मिल रही हैं, लेकिन सामान्य गन्ना और रिजेक्ट गन्ना की खेती वाले किसानों को पर्चियां नहीं मिल रही हैं। जनपद में लगभग 40 प्रतिशत किसानों ने सामान्य एवं रिजेक्ट गन्ना की खेती की है। बस्ती के गांव खरका देवरी के किसान गनीराम गन्ने की वजह से पौने एक एकड़ खेत में गेहूं की बुआई नहीं कर पाए हैं। इसी तरह खरका देवरी के किसान रामचंद्र गन्ना की वजह से आधा हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की खेती नहीं कर पाए हैं। बस्ती जनपद के छितहा गांव के किसान राम नरेश पटेल 18 बिगहा में गन्ना (अर्ली किस्म की प्रजाति) की खेती की हैं। वह 8 बिगहा खेत में गेहूं की बोआई करना चाहते थें, लेकिन खेत खाली न होने की वजह से मजबूरी में फरवरी के अंत में एक बार फिर गन्ना की बोआई करेंगे।
दरअसल, जब गन्ने की फसल तैयार हो जाती है तो किसान चीनी मिल से संपर्क करके उन्हें यह सूचित करता है कि उसने कितने इलाके में गन्ने की बुआई की है। इस आधार पर चीनी मिल द्वारा सर्वे कराया जाता है और सर्वे के आधार पर मिल की ओर से एक पर्ची दी जाती है, जिसमें बताया जाता है कि मिल किसान का कितना गन्ना खरीदने को तैयार है। इसके बाद ही किसान गन्ना काट कर मिल तक पहुंचाता है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के लखनऊ मंडल के अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा कहते हैं कि सरकार नहीं चाहती है कि किसान गन्ना की खेती करें, इसलिए पूरे प्रदेश में इस तरह की समस्या हो रही है। प्रदेश के मुजफ्फरनगर से लेकर पूर्वी क्षेत्र एवं तराई वाले क्षेत्रों में पर्ची वितरित नहीं की जा रही है। हरिनाम सिंह वर्मा कहते हैं कि उन्होंने खुद 25 बिगहा में गन्ना की खेती की है। आठ बिगहा खेत को खाली करके गेहूं की बोआई करना चाहते थे, लेकिन खेत खाली ही नहीं हुआ। मुझे पहली पर्ची 17 दिसंबर को मिली। अब तक केवल 5 पर्चियां मिली हैं। हालात ऐसे हैं कि इस बार सरकार ने गन्ने का सर्वे ही नहीं कराया।