कृषि

खाद्य सुरक्षा-पोषण ही नहीं पर्यावरण पर भी ध्यान देगा एफएओ, खाद्य प्रणालियों में बड़े फेरबदल के संकेत

इस प्रयास का उद्देश्य बेहतर उत्पादन, पोषण, पर्यावरण और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कृषि खाद्य प्रणालियों में सुधार और बदलाव लाना है

Lalit Maurya

सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2023 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले, एसडीजी एक्शन वीकेंड के दौरान संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर खाद्य प्रणालियों में व्यापक बदलाव के लिए एक नई योजना प्रस्तुत की है।

'हाई इम्पैक्ट इनिशिएटिव ऑन फूड सिस्टम ट्रांसफॉर्मेशन' नामक इस योजना का उद्देश्य एसडीजी शिखर सम्मेलन में चर्चा के लिए एकत्र हो रहे विभिन्न पक्षों को एकजुट करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुनिया में कोई भी भूखा न रहे साथ ही सभी को स्वस्थ्य पोषण युक्त आहार मिल सके। इतना ही नहीं इस नई पहल का उद्देश्य सतत विकास (एसडीजी) के अन्य लक्ष्यों के साथ भी तालमेल बैठाना है, ताकि कृषि प्रणालियों में बदलाव कर उन्हें बेहतर बनाया जा सके। साथ ही पर्यावरण के साथ-साथ जलवायु में आते बदलावों पर कृषि के बढ़ते प्रभावों को सीमित किया जा सके।

देखा जाए तो 2030 के लिए जारी सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में कृषि और खाद्य प्रणालियों की भूमिका बेहद अहम हैं। लेकिन महामारी, संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता में आती गिरावट और जारी वैश्विक संकटों ने इसकी राह में अनगिनत चुनौतियां पैदा कर दी हैं। यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद भी 2022 में करीब 73.5 करोड़ लोग खाने की कमी से जूझ रहे थे।

वहीं 310 करोड़ लोगों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाया था। यह सही है कि 2021-22 के दौरान एशिया और दक्षिण अमेरिका में इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों में सफलता मिली है, लेकिन साथ ही अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और कैरिबियन देशों में स्थिति कहीं ज्यादा खराब हुई है। अनुमान है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो 2030 तक करीब 60 करोड़ लोग दाने-दाने को मोहताज होंगें।

कुल मिलकर देखें तो सतत विकास के लक्ष्यों को अपनाए हुए करीब आठ वर्ष बीत चुके हैं और 2030 के लक्ष्यों की राह में हम आधा सफर तय कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद खाद्य और कृषि के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए गए थे उनकी दिशा में हो रही प्रगति या तो रुक गई है या उन लक्ष्यों को हासिल करने में हम काफी पिछड़ चुके हैं।

ऐसे में गरीबी, खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, पोषण और जैव विविधता जैसे लक्ष्यों को हासिल करना कठिन होता जा रहा है। इसकी पुष्टि एफएओ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भी की है। यही वजह है कि सतत विकास के लक्ष्यों पर चर्चा के लिए हो रहे शिखर सम्मेलन से ठीक पहले इस पहल को जारी किया गया है, जिससे 18 और 19 सितम्बर को न्यूयॉर्क में सतत विकास के 17 लक्ष्यों में हो रही प्रगति पर चर्चा के लिए एकत्र हो रहे सभी पक्ष इससे सहमत हो सके।

किन मुद्दों पर दिया जाएगा ध्यान

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एसडीजी एक्शन वीकेंड के दौरान इस पहल को जारी करते हुए एफएओ के महानिदेशक क्यू डोंगयु ने कहा कि, "दुनिया भर में कृषि खाद्य प्रणालियां, सतत विकास के महत्वपूर्ण लक्ष्यों के केंद्र में हैं। इस प्रयास का उद्देश्य बेहतर उत्पादन, पोषण, पर्यावरण और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए हमारी कृषि खाद्य प्रणालियों में सुधार करने के लिए सभी भागीदारों और हितधारकों को एकजुट करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस राह में कोई भी पीछे न छूटे।"

ऐसे में इन सुधारो के लिए क्यू ने मौजूदा निवेश और नए स्रोतों से आवश्यक वित्तीय संसाधनों को बढ़ावा देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने जोखिम प्रबंधन जैसे नए वित्तीय उपकरणों का उपयोग करने के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि सही परिस्थितियों और विशिष्ट कार्यों के साथ, कृषि खाद्य प्रणालियां स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

ऐसे में इस अंधकारमय भविष्य और कृषि खाद्य प्रणालियों में बदलाव लाने के लिए क्यू ने निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अब से 2030 तक करीब 400,000 करोड़ डॉलर या हर वर्ष करीब 68,000 करोड़ डॉलर जुटाना की आवश्यकता पर बल दिया है।

बता दें कि एफएओ के नेतृत्व में शुरू किए गए इस हाई इम्पैक्ट इनिशिएटिव में इंटरनेशनल फण्ड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट (आईएफएडी) और वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) जैसी अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ-साथ विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (यूएनआईडीएओ) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) जैसे अंतराष्ट्रीय संगठन मिलकर काम कर रहे हैं।

यह पहल 2021 में खाद्य प्रणालियों पर हुए शिखर सम्मेलन और 2023 यूएनएफएसएस+2 स्टॉकटेकिंग मूमेंट के परिणामों पर आधारित है। यह एफएओ हैंड-इन-हैंड इनिशिएटिव जैसे चल रहे प्रयासों से भी जुड़ी है, जिसमें 66 देश और 1,000 करोड़ डॉलर से अधिक की निवेश योजनाएं शामिल हैं।

सरल शब्दों में, कहें तो इस हाई इम्पैक्ट इनिशिएटिव का उद्देश्य निवेश, नवाचार, विज्ञान, आंकड़ों और प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ टूल्स और मानचित्रों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना है। यह वैज्ञानिक, युवाओं और स्थानीय समूहों के प्रयासों पर भी आधारित है जो यूएनएफएसएस से पहले बनाए गए थे। एफएओ महानिदेशक ने स्पष्ट किया है कि इसका उद्देश्य देशों को अपनी स्वयं की खाद्य प्रणालियों में बदलाव लाने, उन्हें अपनी विशिष्ट परिस्थितियों के अनुकूल ढालने और अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेहतर बनाना है।