कृषि

अनाज से बनेगा इथेनॉल, 175 लाख टन अनाज की होगी खपत

DTE Staff

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 30 दिसंबर को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में इथेनॉल उत्पादन के लिए अनाज आधारित भट्टियों की स्थापना करना और मौजूदा अनाज आधारित भट्टियों का विस्तार करने की योजना को मंजूरी दी गई। 

बैठक के बारे में जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि अनाज से इथेनॉल बनने पर लगभग 175 लाख मीट्रिक टन अनाज (चावल, गेंहू, जौ, मक्‍का और ज्‍वार) का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक 2030 तक पेट्रोल में इथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और रसायन एवं अन्य क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 1,400 करोड़ लीटर एल्कोहल/इथेनॉल की जरूरत होगी।

इसमें से 1,000 करोड़ लीटर की जरूरत 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए और 400 करोड़ लीटर की जरूरत रसायन एवं अन्य क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए होगी।

इस 1,400  करोड़ लीटर की कुल जरूरत में से 700 करोड़ लीटर की आपूर्ति चीनी उद्योग और 700 करोड़ लीटर की आपूर्ति अनाज आधारित भट्टियों को करनी होगी। इससे लगभग 175 लाख मीट्रिक टन अनाज का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

चीनी उद्योग द्वारा 700 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए करीब 60 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे अतिरिक्त चीनी भंडार की समस्या का समाधान होगा, अतिरिक्त चीनी के भंडारण की समस्या से चीनी उद्योग को निजात मिलेगी और चीनी मिलों की राजस्व वसूली बढ़ेगी। इससे वे गन्ना किसानों को उनके बकाये का समय पर भुगतान कर सकेंगी।

गन्ना और इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से तीन राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में होता है। इन तीन राज्यों से इथेनॉल को दूरदराज के अन्य राज्यों में ले जाने पर भारी परिवहन खर्च आता है।

देशभर में नई अनाज आधारित भट्टियां स्थापित करने से देश के अलग-अलग भागों में इथेनॉल का वितरण संभव हो सकेगा और इससे इसके परिवहन पर आने वाला भारी खर्च भी बचाया जा सकेगा।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि  निम्न श्रेणियों को इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की एक संशोधित योजना लाई जाए :-

  • इथेनॉल उत्पादन के लिए अनाज आधारित भट्टियों की स्थापना करना/मौजूदा अनाज आधारित भट्टियों का विस्तार करना, लेकिन इस योजना के लाभ केवल उन्हीं भट्टियों को मिलेंगे, जो अनाजों की सूखी पिसाई की प्रक्रिया (ड्राई मीलिंग प्रोसेस) का इस्तेमाल करेंगी।
  • इथेनॉल उत्पादन के लिए गुड़ शीरा आधारित नई भट्टियों की स्थापना/मौजूदा भट्टियों का विस्तार (चाहे वे चीनी मिलों से संबद्ध हो या उनसे अलग हो) और चाहे केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शून्य तरल डिस्चार्ज (जेडएलडी) को हासिल करने के लिए स्वीकृत कोई भी अन्य तरीका कायम करना हो।
  • इथेनॉल उत्पादन के लिए अनाज और शीरा दोनों का दोहरा इस्तेमाल करने वाली नयी भट्टियां स्थापित करना और पहले से संचालित भट्टियों का विस्तार करना।
  • मौजूदा गुड़ शीरा आधारित भट्टियों (चाहे चीनी मिलों से संबद्ध हो या पृथक हो) को दोहरे इस्तेमाल (गुड़ शीरा और अनाज/कोई भी अन्य खाद्यान्न) में बदलना और अनाज आधारित भट्टियों को भी दोहरे इस्तेमाल वाली भट्टियों में बदलना।
  • चुकन्दर, ज्वार और अनाज आदि जैसे अन्य खाद्यान्न से इथेनॉल निकालने के लिए नई भट्टियां स्थापित करना/मौजूदा भट्टियों का विस्तार करना।
  • मौजूदा भट्टियों में संशोधित स्प्रिट को इथेनॉल में बदलने के लिए मॉलिक्यूलर सीव डीहाईड्रेशन (एमएसडीएच) कॉलम स्थापित करना।