कृषि

जीएम सोयामील के आयात पर पर्यावरण मंत्रालय को आपत्ति नहीं, विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

Vivek Mishra

एक तरफ देश की स्थायी संसदीय समिति ने अपने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि पशुओं से इंसानों तक पहुंचने वाले रोगों की रोकथाम के लिए पशु खाद्य सामाग्रियों को सुपरविजन में दिए जाने की जरूरत है वहीं, दूसरी तरफ सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से जेनेटिक मोडिफाइड सोयाखली डीओसी (डी ऑयल्ड एंड क्रश्ड केक्ड) के आयात की तैयारी कर ली है। 

पोल्ट्री की खुराक के लिए सस्ता चारा देश में न सिर्फ सोयाबीन किसानों के लिए बल्कि लोगों की सेहत के लिए बड़ी मुसीबत पैदा करने जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों और जीएम के विरुद्ध संगठनों ने इस कदम की कड़ी मुखालफत की है। 

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से 11 अगस्त. 2021 को एक पत्र डिपार्टमेंट ऑफ कस्टम एंड डीजीएफटी को भेजा गया है जिसमें पशुओं के चारे के लिए 15 लाख टन डीओसी यानी डी ऑयल्ड सोयामील के आयात की मांग की है। 

डीजीएफटी को लिखे पत्र में पशुपालन और डेयरी विभाग ने कहा है कि उन्हें 6 अगस्त, 2021 को ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन की ओर से सोयामील शॉर्टेज को खत्म करने के लिए आयात का अनुरोध किया गया है। एसोसिएशन आयात शुल्क से मुक्त जीएम सोयामील इंपोर्ट की इजाजत चाहते हैं। हालांकि, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और एफएसएसएआई को जीएम सोयामील से कोई आपत्ति नहीं है ऐसे में मौजूदा टैरिफ या जो भी ड्यूटी हो उसके आधार पर सोयामील आयात करने की इजाजत दी जाए।  

पत्र में जीएम सोयामील के पक्ष में कहा गया है कि 6 अगस्त, 2021 को पर्यावरण मंत्रालय ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग को बताया है कि चूंकि सोयामील में कोई भी लिविंग मोडिफाइड ऑर्गेनिज्म नहीं है ऐसे में इसके आयात पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। और न ही या जीईएसी इंपोर्ट पॉलिसी के तहत अनुसूची एक का विषय है जिसमें मंत्रालय की कोई इजाजत की जरूरत हो क्योंकि यह एक नॉन लिविंग ऑर्गेनिज्म है। 

संयुक्त संस्था जीएम फ्री इंडिया की ओर से कहा गया है कि 15 लाख टन सोयामील का आयात सेफ्टी एसेसमेंट कै तहत आता है। ईपीए 1989 रूल्स के तहत हजार्ड्स माइक्रो ऑर्गेनिज्म, जेनिटकली इंजीनयर्ड ऑर्गेनिज्म का निर्माण, प्रयोग, इंपोर्ट, एक्सपोर्ट और स्टोरेज सेफ्टी एसेसमेंट के अधीन है। ऐसे में पर्यावरण, स्वास्थ्य और प्रकृति संरक्षण के लिए रेगुलेटर्स को फिर से इस पर विचार करना चाहिए।

जीएम खाद्य पदार्थों के सेहत पर प्रभाव को लेकर अध्ययन जारी है। हालांकि, भारत में जीएम फूड को लेकर जैव सुरक्षा और आश्ववासन को लेकर लगातार आवाजें उठती रही हैं।