भारत में कपास उत्पादन में 8.57% की गिरावट दर्ज की गई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2024-25 में कपास का बुआई क्षेत्र 8.70% कम होकर 112.947 लाख हेक्टेयर रह गया है।
जलवायु परिवर्तन, बेमौसम बारिश और कीट बीमारियों के कारण किसान कपास की खेती से दूर हो रहे हैं।
विश्व में भारत कपास उत्पादन में दूसरे नंबर पर है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कपास की बुआई व पैदावार में गिरावट हो रही है। 20 नवंबर 2025 को कृषि मंत्रालय द्वारा जारी 2024-25 के फसल उत्पादन के अंतिम अनुमान के मुताबिक इस वर्ष कपास की उपज में गिरावट होगी। 2023-24 में कपास का कुल उपज 325.22 लाख गांठे थी व इस वर्ष कुल उपज 297.34 लाख गांठे होने का अनुमान है, यानि 8.57 फीसदी (27.88 लाख गांठे) कम उपज है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2023-24 में कपास का बुआई क्षेत्रफल 123.707 लाख हेक्टेयर था लेकिन इस वर्ष 2024-25 में यह घटकर 112.947 लाख हेक्टेयर (8.70 प्रतिशत कम) हो गया। बुआई का रकबा सबसे कम उत्तर भारत के राज्य पंजाब हरियाणा व राजस्थान में हुआ।
उत्तर भारत के राज्यों में बुआई व उत्पादन दोनों कम हो रही है। इस बारे में कृषि अर्थशास्त्री व कृषि महाविद्यालय नागौर, राजस्थान के सहायक आचार्य डॉ. विकास पावड़िया ने बताया कि विगत कुछ वर्षों में कपास में जलवायु परिवर्तन के कारण बेमौसम बारिश व कीट बीमारियों के आक्रमण के कारण फसल काफी प्रभावित हुई है, जिससे किसान कपास फसल से रुख मोड़ रहे है।
डॉ पावड़िया ने बताया कि राजस्थान में 2021-22 में कपास का कुल बुआई क्षेत्र 16.43 लाख हेकटेयर था जो 2024-25 में घटकर 6.27 लाख हेकटेयर हो गया। 2023-24 में 10.04 लाख हेकटेयर में कुल उत्पादन 26.22 लाख बॉल (गांठ) हुआ था लेकिन 2024-25 में 6.27 लाख हेकटेयर में 18.45 लाख बॉल का उत्पादन हुआ है।
कपास की खेती करने वाले किसान भी जलवायु परिवर्तनों व कीट बीमारियों के प्रभाव से आर्थिक नुकसान का सामना कर रहे है।
राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी तहसील के रहने वाले किसान चिमन लाल ने बताया कि पिछले 2-3 वर्ष से कपास की फसल खराब हो रही है। किसान ने 2024 में 10 एकड़ में कपास लगाया था लेकिन फसल में गुलाबी सूँडी के आक्रमण के कारण मजदूरों को फसल का आधा हिस्सा देना पड़ा व कुल उत्पादन महज 25 किवंटल हुआ था।
इसके पश्चात इस वर्ष 2025 में किसान ने 3 एकड़ में कपास की खेती की लेकिन अधिक बारिश के कारण आधी से ज्यादा फसल खराब हो गई व फसल की गुणवता भी बिगड़, जिस कारण कुल उत्पादन 8 किवंटल हुआ है। किसान ने बीज कंपनियों की मनमानी व सरकारी बीज वितरण में देरी इत्यादि दिक्कतों पर भी बात की।
किसान चिमनलाल की तरह हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के अनेक कपास के किसान इन्ही समस्यों के शिकार है। दक्षिण भारत के राज्यों के किसान भी कपास की खेती से दूर हो रहे है। 2022-23 में 35.376 लाख हेकटेयर में बुआई की थी लेकिन 2023-24 में यह संख्या घटकर 29.101 लाख हेकटेयर हो गई। क्षेत्रफल कम होने की वजह गुलाबी सूंडी व अन्य बीमारिया है।