कृषि

बारिश, ओले और पाले की वजह से फिर किसानों को हुआ नुकसान

पिछले एक सप्ताह से पाले के बाद दो दिन से बारिश और ओलावृष्टि से पंजाब, राजस्थान में सरसों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है

Shagun

दो दिन की बारिश और ओलावृष्टि के साथ-साथ एक सप्ताह से पड़ रहे पाले ने उत्तर भारत के कई इलाकों, खासकर राजस्थान और पंजाब में सरसों की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है।

राजस्थान के कृषि, सांख्यिकी के संयुक्त निदेशक टीसी गुप्ता ने कहा कि प्रारंभिक आकलन से पता चला है कि अब तक राजस्थान में बोई गई फसल का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा खराब हुआ है।

राज्य सरकार ने कृषि विभाग को फसल नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। गुप्ता ने कहा, 'सर्वे पूरा होने के एक हफ्ते बाद ही स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।'

किसानों ने 2022-23 रबी सीजन में सरसों की रिकॉर्ड बुवाई की है। कृषि विभाग द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, 27 जनवरी 2023 तक देश में 97 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुआई की जा चुकी है, जो पिछले सीजन की तुलना में लगभग सात लाख हेक्टेयर अधिक है।

दूसरी तिलहन फसलों के मुकाबले सरसों का क्षेत्रफल काफी अधिक है। सरसों, घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए एक प्रमुख तिलहनी फसल है।

उल्लेखनीय है कि भारत में साल भर में खाद्य तेल की जितनी खपत होती है, उसमें से करीब 56 फीसदी तेल आयात किया जाता है। जबकि देश में जो शेष 44 प्रतिशत खाद्य तेल का उत्पादन होता है, उसमें सरसों की हिस्सेदारी सबसे अधिक (39 प्रतिशत) है, इसके बाद सोयाबीन की 24 प्रतिशत और मूंगफली की सात प्रतिशत हिस्सेदारी है।

चालू रबी सीजन में राजस्थान में सबसे अधिक रकबा 39.722 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल 35.3 लाख हेक्टेयर से अधिक था।

29 जनवरी को पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई। जबकि पिछले सप्ताह के दौरान शीत लहरों के कारण तापमान में गिरावट के कारण उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में पाला पड़ा था।

अनुमान लगाया जा रहा है कि जमीनी पाले और ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान के कारण "बम्पर उत्पादन" बाधित हो सकता है। शीत लहर से सबसे ज्यादा नुकसान उदयपुर, सिरोही, चूरू, अजमेर सहित अन्य जिलों में हुआ है।

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के एक किसान ओम प्रकाश बताते हैं कि सरसों की फसल लगभग कटाई के चरण में है और ओलावृष्टि और पाले ने कई स्थानों पर खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाया है। तेज हवाओं के कारण पौधे भी टूट गए। उनके खेत में लगभग 30-35 प्रतिशत नुकसान हुआ है।

पंजाब में भी, जहां गेहूं और चावल के क्षेत्र में विविधता लाने के लिए सरसों उगाने पर जोर दिया गया है, किसानों को पाले और बारिश से नुकसान हुआ है।

हालांकि कुछ इलाकों में हल्की और रुक-रुक कर हुई बारिश से सरसों की फसल को भी फायदा हुआ है। तापमान में गिरावट से गेहूं की फसल को भी राहत मिली है।

रबी फसल में सरसों के अलावा आलू को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। पंजाब के जालंधर, होशियारपुर, लुधियाना, अमृतसर, मोगा और पटियाला जैसे जिलों में आलू का अच्छा खासा उत्पादन होता है, लेकिन पाले के कारण आलू की खड़ी फसल को 80 प्रतिशत तक नुकसान की खबर है।