छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के किसान सोमवार 10 मार्च से आंदोलन कर सकते हैं, क्योंकि उनके खेतों में खड़ी फसल के सूखने का डर है। किसानों का आरोप है कि इंद्रावती नदी का पानी उनके खेतों की सिंचाई के लिए देने की बजाय चित्रकोट जल प्रपात के लिए छोड़ दिया गया।
चित्रकोट जलप्रपात (वाटरफाल) इंद्रावती नदी पर स्थित एक सुंदर जलप्रपात है, जिसकी ऊंचाई 90 फीट है। इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चांदनी रात में यह बिल्कुल सफेद दिखाई देता है। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
बस्तर जिले के बस्तर, टोकपाल और लोहांडीगुड़ा के विकासखंड के किसानों का कहना है कि इंद्रावती नदी के एनीकट (छोटा बांध) से पानी उनके खेतों के लिए दिया जाता है, लेकिन प्रशासन ने एनीकट से पानी चित्रकोट जलप्रपात के लिए छोड़ दिया, जबकि इंद्रावती नदी का जल स्तर का काफी कम था। अब पानी न होने की वजह से 22 पंचायतों के करीब दो हजार एकड़ में खड़ी फसल सूख रही है।
आदिवासी किसान नेता लखेस्वर कश्यप ने डाउन टू र्थ को बताया- “28 (फरवरी) को हम लोगोंने एक ज्ञापन दिया था कि अभी खेतों में ज्यादातर मक्का की फसल के अलावा गेहूं और सब्जियां लगी हुई हैं, लेकिन पानी न होने के कारण ये फसल सूख रही हैं।" उनके मुताबिक बेलगांव / मेलगांव से लेकर खड़गघाट तक इंद्रावती नदी पर बने एनीकट से किसानों को कम से कम 10 प्रतिशत पानी दिया जाए, ताकि फसल को बचाया जा सके।
कश्यप कहते हैं कि किसानों को दिया जाने वाला पानी फिलहाल चित्रकोट जलप्रपात में छोड़ा जा रहा है, जहां राजनेता और अफसर अपने परिवार के साथ सैरसपाटे के लिए आ रहे हैं। उनका आरोप है कि इंद्रावती में जल स्तर घटाने के पीछे रेत माफिया को रेत खनन का मौका उपलब्ध कराना भी है।
बड़ेचकवा के नवनिर्वाचित उपसरपंच पूरन सिंह कश्यप ने बताया कि पिछले दिनों बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने आए राज्य के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री समेत बड़े अधिकारी आए थे तो उन्हें चित्रकोट वाटरफाल का सौंदर्य दिखाने के लिए लाया गया, तब जलप्रताप में पानी का स्तर बढ़ाने के लिए एनीकट से ज्यादा पानी छोड़ दिया गया।
इसके बाद शिवरात्रि-चित्रकूट महोत्सव के समय भी पानी छोड़ा गया, जिस वजह से उनके खेतों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया।
एक और किसान नेता बैजनाथ मौर्या ने कहा कि हमारे यहां इससे पहले कभी पानी की इतनी दिक्कत कभी नहीं हुई, जितनी अभी हुई है। किसान इंद्रावती नदी की दोनों ओर फसल उगाते हैं, लेकिन आज नदी में पीने तक का पानी नहीं है, वहां इतना रेत भरा हुआ है कि आज बच्चे वहां क्रिकेट खेल रहे हैं। हम इस बारे में कई बार शासन प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इस बार शासन-प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए किसान सोमवार से राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करेंगे।