कृषि

मूंगफली की नई किस्मों को बढ़ावा देने के लिए इक्रीसेट की नई पहल, किसानों को होगा फायदा

तेलंगाना सरकार द्वारा समर्थित इस पहल का उद्देश्य मूंगफली उत्पादन का विस्तार करना है। वर्तमान समय में तेलंगाना में तीन लाख हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती की जा रही है

Lalit Maurya

तेलंगाना में मूंगफली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (इक्रीसेट) और प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (पीजेटीएसएयू) ने मूंगफली की नई किस्मों को विकसित करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की शुरआत की है। इसका लक्ष्य तेलंगाना में किसानों की आय में वृद्धि करना है।

इस पहल के तहत तेलंगाना में 80 से ज्यादा ट्रायल किए जाएंगें। तेलंगाना सरकार द्वारा वित्त पोषित इस पहल का उद्देश्य राज्य में मूंगफली उत्पादन का विस्तार करना है। गौरतलब है कि वर्तमान समय में तेलंगाना में केवल तीन लाख हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती की जा रही है।

इस बारे में इक्रीसेट की महानिदेशक डॉक्टर जैकलीन ह्यूजेस का कहना है कि वो  तेलंगाना सरकार और पीजेटीएसएयू के साथ शुरू की गई इस पहले से उत्सुक हैं। इससे राज्य भर में मूंगफली की खेती में बहुत आवश्यक सुधार देखने को मिलेंगे, जिससे किसानों की आय में भी सुधार होगा।

उनका कहना है कि, “हम तेलंगाना के किसानों को उच्च गुणवत्ता, आसानी और कम लागत वाले बीज उपलब्ध कराने के साथ, शाश्वत बीज प्रणाली और मूल्य श्रृंखला विकसित करने में संस्थान के अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग करने की उम्मीद करते हैं।“

वहीं इक्रीसेट के उप महानिदेशक डॉक्टर अरविंद कुमार का इस बारे में कहना है कि इस पहल से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि साथ ही नए किसानों को मूंगफली उत्पादन के क्षेत्र में आने को बढ़ावा मिलेगा।

इस पहल के तहत स्थानिक रिसर्च के साथ मूंगफली के जीनोटाइप की पहचान, और किस्मों के बहु-स्थानीय परीक्षण किए जाएंगें, जिससे तेलंगाना में मूंगफली की  उपयुक्त किस्में प्रदान की जा सकें और राज्य में मूंगफली बीज प्रणाली में सुधार किया जा सके।

ओलिक एसिड से भरपूर है मूंगफली की नई किस्में 'गिरनार 4' और ‘गिरनार 5’

इससे पहले इक्रीसेट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मूंगफली अनुसंधान निदेशालय (आईसीएआर-डीजीआर) के साथ मिलकर मूंगफली की नई किस्म 'गिरनार 4' विकसित की थी जोकि देश में मूंगफली की पहली ऐसी किस्म है जिसमें बहुत ज्यादा मात्रा में ओलिक एसिड है। इसका मानसून में चार एकड़ भूमि पर सफल परिक्षण किया जा चुका है। 

इसी पहल के तहत मूंगफली की नई किस्मों को अपनाने में तेजी लाने के लिए नागरकुर्नूल जिले के पालेम के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आरएआरएस) में एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें करीब तीन सौ किसानों ने भाग लिया था।

इस कार्यक्रम के मौके पर इक्रीसेट के त्वरित फसल सुधार अनुसंधान कार्यक्रम के निदेशक डॉक्टर सीन मेयस ने कहा कि, “हम तेलंगाना में किसानों और क्षेत्रीय कृषि केंद्रों के साथ मिलकर किसानों के मुनाफे में वृद्धि करने और महत्वपूर्ण रूप से इस परियोजना के दौरान एक-दूसरे से सीखने के लिए काम कर रहे हैं।“

इस कार्यक्रम के दौरान, किसानों को मूंगफली उत्पादन और मूल्य श्रृंखला को बढ़ावा देने के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन से जुड़ी तकनीकों और संभावित नवाचारों से अवगत कराया गया। आरएआरएस-पालेम में तिलहन से जुड़ी प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सुजाता ने कहा कि, “यह देखते हुए कि एक किसान को प्रति एकड़ भूमि में लगभग 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। ऐसे में मूंगफली उत्पादन के लिए नई बीजों की किस्मों तक पहुंच एक चुनौती बनी हुई है।“

उनका कहना था कि मूंगफली के बीज की खराब गुणवत्ता और मिश्रित किस्मों की उपलब्धता भी एक चिंता का विषय है, जिससे निपटने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने के लिए हम इक्रीसेट के साथ काम कर रहे हैं कि जिससे नई किस्में जल्द ही किसानों के लिए उपलब्ध होंगी।

वहीं इक्रीसेट से जुड़ी कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर जनिला पसुपुलेटी का कहना है कि किसान आंशिक रूप से बीजों की अनुपलब्धता और कम लाभ के डर से बीजों की नई किस्मों को नहीं अपनाते। ऐसे में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मूंगफली की नई किस्में जिनमें ओलिक एसिड की उच्च मात्रा है उनको अपनाने और सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों की मदद से फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी के साथ मुनाफा में वृद्धि और निर्यात के नए संभावित अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।   

भविष्य में इक्रीसेट की योजना उच्च गुणवत्ता वाली मूंगफली की किस्मों गिरनार 4 (आईसीजीवी 15083) और 5 (आईसीजीवी 15090) के बीजों तक पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए बीज निगमों, किसान बीज उद्यमियों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ जुड़ने की है।

गौरतलब है कि अभी हाल ही में मूंगफली की व्यावसायिक गुणवत्ता और लक्षणों को मापने के लिए इक्रीसेट ने देश में एक्स-रे रेडियोग्राफी आधारित नई तकनीक विकसित की थी।