कृषि

कृषि से उत्सर्जन कम करने के लिए केंद्र का ग्रीन एजी पायलट प्रोजेक्ट शुरू

DTE Staff

केंद्र सरकार ने 28 जुलाई को मिजोरम में ग्रीन एजी परियोजना की शुरुआत कर दी। यह परियोजना कृषि क्षेत्र में उत्सर्जन कम करने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को सुनिश्चित करने के मकसद से शुरू की गई है।

मिजोरम उन पांच राज्यों में शामिल है, जहां परियोजना लागू की जानी है। मिजोरम के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड इस परियोजना का हिस्सा हैं। इस परियोजना के तहत पांच लैंडस्कैप में 1.8 मिलियन हेक्टेयर भूमि आएगी। लक्ष्य के मुताबिक, कम से कम 1,04,070 हेक्टेयर कृषि भूमि टिकाऊ विकास और जल प्रबंधन के लिए विकसित की जाएगी। उम्मीद है कि कृषि की सतत विकास की पद्धतियों से 49 मिलियन कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन कम होगा।

ग्रीन एजी परियोजना को ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी द्वारा वित्त पोषित किया गया है। कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसीएंडएफडब्ल्यू) पर इस परियोजना को क्रियान्वित कराने की जिम्मेदारी है। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भी इसे लागू करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

यह पायलट प्रोजेक्ट 31 मार्च 2026 को खत्म होगा। मिजोरम के दो जिलों- लुंगलेई और मामित में 1,45,670 हेक्टेयर भूमि इसके दायरे में आएगी। दो संरक्षित क्षेत्रों- डंपा टाइगर रिजर्व और थोरंगलांग वन्यजीव अभयारण्य सहित कुल 35 गांव इसके तहत कवर करने का लक्ष्य है।

ग्रीन एजी परियोजना की नेशनल प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमिटी (एनपीएससी) की सदस्य और डीएसीएंडएफडब्ल्यू में अतिरिक्त सचिव अलका भार्गव का कहना है, “जगह के चयन के मामले में यह परियोजना अद्भुत है। इसमें शामिल लैंडस्कैप राजस्व गांव हैं और सामुदायिक जमीन राष्ट्रीय पार्कों और संरक्षित क्षेत्रों से बेहद नजदीक है।”  

उनका कहना है कि परियोजना का मुख्य कंपोनेंट टिकाऊ (सतत) कृषि है। मिजोरम की जलवायु, जल की उपलब्धता और मेहनती लोगों को देखते हुए यह परियोजना बहुत लाभकारी सिद्ध होगी। राज्य पैशन फ्रूट्स जैसे फलों को उत्पादन कर उसे पूरे देश को उपलब्ध करा सकता है। एफएओ-भारत के प्रतिनिधि टोमियो सिचिरी जोर देकर कहा है कि ग्रीन एजी परियोजना स्थानीय लोगों को जैव विविधता का फायदा पहुंचाएगी।