केंद्र सरकार ने गन्ने से जुड़े उत्पादों से इथेनॉल बनाने पर लगाई गई रोक को हटा लिया है। सभी चीनी मिलों और डिस्टलरीज को इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2024-25 के लिए गन्ने के रस या शुगर सीरप और बी हैवी मोलासेस व सी हैवी मोलासेस से इथेनॉल बनाने की मंजूरी दे दी गई है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के डायरेक्टर-शुगर संगीत ने 29 अगस्त को आदेश जारी करते हुए कहा कि सभी चीनी मिलों और डिस्टलरीज को 15 दिसंबर, 2023 को गन्ने से जुड़े उत्पादों से इथेनॉल उत्पादन पर लगाई गई रोक से राहत दी जा रही है, सभी चीनी मिलें और डिस्टलरीज ईएसवाई 2024-25 के लिए तेल विपणन कंपनियों से किए गए करार और समझौते के लिए गन्ने के उत्पादों से इथेनॉल का निर्माण कर सकती हैं।
इसके अलावा एक दूसरे आदेश में कहा गया कि इथेनॉल डिस्टलरीज भारतीय खाद्य निगम की निलामी में चावल खरीद के लिए भाग ले सकते हैं। आदेश के तहत इन डिस्टलरीज को इथेनॉल उत्पादन के लिए अगस्त से अक्तूबर, 2024 तक ई-ऑक्शन के जरिए हर सप्ताह चावल की आखिरी तय कीमत पर खरीद की अनुमति होगी। आदेश के तहत डिस्टलरीज एफसीआई स्टॉक से अधिकतम 23 लाख टन चावल को ही इथेनॉल उत्पादन के लिए ले सकेंगी। इथेनॉल उत्पादक इस चावल का उपयोग फीड स्टॉक के रूप में कर सकते हैं, जो इथेनॉल उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल होता है।
केंद्र सरकार ने पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण दर को 2025 तक 20 फीसदी तक बढाने का लक्ष्य तय किया है जो वर्तमान में 13 फीसदी पर है। ऐसे में इथेनॉल उत्पादन को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है।
29 अगस्त, 2024 को इथेनॉल उत्पादन में राहत प्रदान करने वाले आदेश में कहा गया है कि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग समय-समय पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ शुगर के इथेनॉल उत्पादन में डायवर्जन को लेकर समीक्षा करेगा ताकि पूरे साल देश के लोगों को चीनी की उपलब्धता बनी रहे।
पिछले साल चीनी उत्पादन में कमी की आशंका और चीनी की कीमतों में संभावित वृद्धि को देखते हुए इथेनॉल बनाने के लिए चीनी के डायवर्जन पर रोक लगा दी गई थी। इसके अलावा चावल की बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एफसीआई के स्टॉक से इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल के उपयोग पर भी रोक लगा दिया था।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से 20 दिसंबर, 2023 को जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक 30.11.2023 तक, देश में इथेनॉल उत्पादन क्षमता लगभग 1380 करोड़ लीटर थी, जिसमें से लगभग 875 करोड़ लीटर मोलासेस आधारित और लगभग 505 करोड़ लीटर अनाज आधारित थी।
भारत सरकार पूरे देश में पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रित (ईबीपी) कार्यक्रम लागू कर रही है, जिसमें तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) इथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल बेचती हैं। ईबीपी कार्यक्रम के तहत सरकार ने 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य तय किया है।
प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक 2025 तक 20 फीसदी मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, लगभग 1016 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता है और अन्य उपयोगों सहित इथेनॉल की कुल आवश्यकता 1350 करोड़ लीटर है। इसके लिए 2025 तक लगभग 1700 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन क्षमता की आवश्यकता है, यह देखते हुए कि संयंत्र 80 फीसदी दक्षता पर संचालित होता है।
सरकार ने दोपहिया और यात्री वाहन खंडों में पेट्रोल आधारित वाहनों की वृद्धि और मोटर स्पिरिट (एमएस) की अनुमानित बिक्री को ध्यान में रखते हुए 2025 तक 20 फीसदी मिश्रण के लिए आवश्यक इथेनॉल की मांग का अनुमान लगाया है।