किसानों की आमदनी को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2019-20 सत्र के लिए सभी खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है।
सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में दावा किया गया कि इस फैसले से इस कदम से निवेश में वृद्धि होगी और किसानों को निश्चित लाभ प्राप्त होने के माध्यम से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
2018-19 के खरीफ मौसम में सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार बढ़ाया गया हैः-
- सरकार ने2019-20 के लिए खरीफ फसल के तौर पर सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 311 रुपये प्रति क्विंटल, सूरजमुखी में 262 रुपये प्रति क्विंटल और तिल में 236 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर दी है। किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
- सरकार ने तूर दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में125 रुपये और उड़द दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 100रुपये प्रति क्विंटल वृद्धि की है। इससे दालों की आवश्यकता के तहत देश की आबादी के एक बड़े हिस्से की पोषण सुरक्षा और प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
- सरकार ने ज्वार के न्यूनतम समर्थन मूल्य में120 रुपये प्रति क्विंटल और रागी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 253 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। यह कदम देश में पोषणयुक्त अनाज के उत्पादन और उपभोग की जरूरतों के तहत उठाया गया है। अंतर्राष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा 2023 को अंतर्राष्ट्रीय ज्वार दिवस के रूप में मनाए जाने के भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करने तथा भारत द्वारा 2018 को राष्ट्रीय ज्वार दिवस के रूप में मनाए जाने के परिप्रेक्ष्य में इसे काफी अहम माना जा रहा है।
- मध्यम और लम्बे रेशे वाले कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में क्रमशः105 रुपये प्रति क्विंटल और 100प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ने से किसानों को बाजरा, उड़द और तूर के उत्पादन लागत की तुलना में क्रमशः 85 प्रतिशत, 64 प्रतिशत और 60 प्रतिशत का रिटर्न मिलेगा।