कृषि

2021 में हर दो घंटे में एक कृषि श्रमिक ने आत्महत्या की

Shagun

पिछले दो वर्षों में महामारी के दौरान जब सभी क्षेत्रों की विकास दर औधें मुंह गिर गई, तब केवल कृषि क्षेत्र ने ही सकारात्मक वृद्धि दर्ज कर सकल घरेलू उत्पाद में योगदान दिया लेकिन इस वृद्धि का लाभ कृषि श्रमिकों को नहीं मिला। साल 2021 में कम से कम एक कृषि श्रमिक ने हर दो घंटे में आत्महत्या की।

2021 में कृषि श्रमिकों की आत्महत्या की दर 2020 के मुकाबले 9 फीसदी और 2019 के मुकाबले 29 प्रतिशत अधिक रही। राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, 2021 में कुल 5,563 कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की।

ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब ज्यादा से ज्यादा किसान कृषि श्रमिक बन रहे हैं और एक किसान परिवार कृषि के मुकाबले मजदूरी पर अधिक निर्भर है। यह जानकारी 2021 में जारी नेशनल सैंपल सर्वे के आकलन दस्तावेज में भी है। सर्वेक्षण के अनुसार, कृषि परिवार की कुल औसत आय में सबसे अधिक 4,063 रुपए की हिस्सेदारी मजदूरी से प्राप्त हुई थी।

2021 में आत्महत्या करने वाले 5,563 कृषि श्रमिकों में 5,121 पुरुष और 442 महिलाएं थीं।

एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक 1,424 आत्महत्या की घटनाएं महाराष्ट्र में दर्ज की गईं। इसके बाद कर्नाटक में 999 और आंध्र प्रदेश में 584 कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की।

आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो वर्षों में एक तरफ जहां कृषि श्रमिकों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याएं बढ़ रही हैं, वहीं किसानों की आत्महत्याएं कम हो रही हैं। 2019 में 5,957 और 2020 में 5,579 किसानों ने आत्महत्या की जो 2021 में कम होकर 5,318 रह गई।

किसानों की आत्महत्या के आंकड़े कृषि श्रमिकों के मुकाबले भले ही कम हों लेकिन महाराष्ट्र (2,640) और कर्नाटक (1,170) में किसानों के आत्महत्या के आंकड़े कृषि श्रमिकों से अधिक हैं।

2021 में कृषि क्षेत्र से संबद्ध कुल 10,881 लोगों ने आत्महत्या की जो देश में कुल आत्महत्या (1,64,033) का 6.6 प्रतिशत है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़, लक्षद्वीप और पद्दुचेरी में किसी भी किसान व कृषि श्रमिक ने आत्महत्या नहीं की।

रिपोर्ट की परिभाषा के मुताबिक, किसान वह है जिसका व्यवसाय कृषि है और जो अपनी जमीन पर खेती करता है। इसमें वे भी शामिल हैं जो पट्टे की जमीन पर बिना कृषि मजदूरों की मदद के खेती करते हैं। कृषि श्रमिक उन्हें कहा गया है जो मुख्यत: कृषि क्षेत्र में काम करते हैं और उनकी आय का स्रोत कृषि मजदूरी है।

वर्ष 2021 दिहाड़ी मजदूरों के लिए बेहद बुरा साबित हुआ है। आत्महत्या करने वालों में सबसे अधिक 25 प्रतिशत दिहाड़ी मजदूर ही थे। पिछले साल ऐसे कुल 42,004 मजदूरों ने खुदकुशी की। 2020 में दिहाड़ी मजदूरों की खुदकुशी का आंकड़ा 33,164 था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिहाड़ी मजदूरों के आंकड़ों में कृषि श्रमिकों को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन पिछले दो वर्षों के दौरान जब कई आर्थिक गतिविधियां बंद हो गईं और शहरों में गांवों की ओर पलायन हुआ, तब कई दिहाड़ी मजदूरों ने कृषि श्रमिक के रूप में भी काम किया, क्योंकि उनके आय के अन्य स्रोत बंद थे।