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कृषि मंत्री ने माना, पीएम किसान सम्मान निधि के 2,326 करोड़ रुपए अपात्रों को भेजे गए, केवल 231.76 करोड़ रुपए की हुई वसूली

Bhagirath

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पीएम किसान सम्मान निधि में जबर्दस्त धांधली हुई है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने 2 फरवरी को लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में बताया कि 32,91,152 अपात्रों को पीएम किसान सम्मान निधि भेजी गई है। इन अपात्रों को कुल 2,326.88 करोड़ रुपए की धनराशि भेजी गई है। कृषि मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि अपात्रों में आयकर देने वाले भी शामिल थे। उल्लेखनीय है कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना उन लघु और सीमांत किसानों के लिए शुरू की गई थी जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन है।  

किस राज्य में हैं सबसे अधिक अपात्र लाभार्थी

लोकसभा में दिए गए उत्तर से पता चलता है कि सबसे अधिक अपात्र लाभार्थी तमिलनाडु के हैं। इस राज्य में कुल 6,96,989 अपात्रों को पीएम किसान योजना का लाभ मिला है। दूसरा नंबर असम का है जहां 5,81,652 अपात्र इस योजना से लाभांवित हुए हैं। तीसरे नंबर पर पंजाब है जहां कुल 4,69,978 अपात्रों ने योजना का लाभ उठाया। चौथे स्थान पर महाराष्ट्र है जहां 3,55,443 अपात्र इससे लाभांवित हुए। गुजरात और मध्य प्रदेश में क्रमश: 2,10,490 और 2,04,437 अपात्रों को योजना का लाभ मिला। उत्तर प्रदेश में 1,78,398 अपात्रों ने योजना का लाभ ले लिया। उपरोक्त छह राज्यों में करीब 27 लाख अपात्र इस योजना के दायरे में आए हैं।

वसूली केवल 231.76 करोड़

सरकार का कहना है कि अपात्र लाभार्थियों को पीएम किसान योजना के तहत डीबीटी के तहत भेजी गई रकम की वसूली चालू है। पश्चिम बंगाल को छोड़कर कुल 35 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इस योजना का लाभ मिला है। इनमें से 18 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भेजी गई रकम की वसूली की कार्रवाई जारी है। अब तक 231.37 करोड़ रुपए की उगाही हुई है। यानी अब तक केवल 10 प्रतिशत राशि ही वसूल की गई है। तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक वसूली की कार्रवाई की गई है। सरकार का कहना है कि संशोधन के लिए किसानों की सूची राज्य सरकारों के पास भेजी गई है। अपात्रों की पहचान और उनसे राशि वसूलने के लिए सरकार ने मानक प्रचालन निर्देश (एसओपी) जारी किए हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता और कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव (सीएचआरआई) से जुड़े वेंकटेश नायक का कहना है कि पिछले साल सूचना के अधिकार से पता चला था कि सरकार ने पीएम किसान योजना की 1,300 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि अपात्रों को भेजी थी। लोकसभा में पेश किए गए ताजा आंकड़ों में यह राशि करीब 1,000 करोड़ रुपए बढ़ गई है। उनका कहना कि इससे पता चलता है कि पीएम किसान योजना के अमल में गंभीर गड़बड़ियां हैं। उनका कहना है कि अब वसूली की प्रक्रिया में करदाताओं के पैसों की बर्बादी होगी। इसमें सरकारी कर्मचारियों का समय भी नष्ट होगा। वेंकटेश का कहना है कि वसूली की प्रक्रिया रोककर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अपात्र लोगों को तब तक आगे की किस्त न मिले जब तक लाभार्थियों के डाटाबेस की पूरी तरह चेक न लिया जाए।