घर में बगीचा भोजन की आपूर्ति का एक अभिन्न हिस्सा रहा है, जिसका उद्देश्य आहार पैटर्न में बदलाव कर पोषण में सुधार करना है। घरेलू उद्यान बेहतर खाद्य सुरक्षा, पुरुषों और महिलाओं की उच्च आहार गुणवत्ता में योगदान करते हैं।
ओडिशा राज्य की जंगली पहाड़ियां जहां भारत के कुछ सबसे कमजोर आदिवासी समूहों के घर हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि छोटे घर के बगीचे जिनमें बाजरा, दालें, ताजे फल और सब्जियां पैदा करके खाद्य असुरक्षा, कुपोषण और गरीबी के खिलाफ मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
भूख के खिलाफ लड़ाई में अहम घर के बगीचे
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में, दुनिया भर में 82.8 करोड़ लोग भूख से जूझ रहे थे और लगभग 3.1 अरब लोगों को स्वस्थ आहार नहीं मिला। वर्तमान समय में भारत एक मध्यम आय वाला देश होने के बावजूद, यह खाद्य सुरक्षा, कुपोषण तथा महिलाओं और बच्चों में बढ़ते एनीमिया के स्तर से जूझ रहा है।
हाल के वर्षों में, इस बारे में काफी अध्ययन किए गए, कि कैसे घर के बगीचे जो, जैसा कि नाम से पता चलता है, फल, सब्जियां या अनाज घरेलू स्तर पर उगाए जाने के लिए अहम हैं, भूख से मुकाबला करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन खाद्य सुरक्षा, आहार गुणवत्ता और आय पर उनके असर को लेकर इसका दायरा सीमित हैं।
घर के बगीचे या होम गार्डन्स को लेकर किए गए शोध ने राज्य में आदिवासी समुदायों के लगभग 1,900 परिवारों को देखा। शोध से पता चला कि ओडिशा में इस बात के ठोस सबूत सामने आए कि घरेलू उद्यान इन ग्रामीण कृषक समुदायों में खाद्य सुरक्षा, आहार की गुणवत्ता और आय में सुधार कर सकते हैं।
बेहतर खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं घर के बगीचे
एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल और सीआईएटी के शोधकर्ता और प्रमुख शोधकर्ता सिल्वेस्टर ओगुतु ने कहा कि घर में बगीचा होने से वार्षिक घरेलू उत्पादन में लगभग 90 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
ओगुतु ने कहा, हमारे निष्कर्ष यह भी सुझाव देते हैं कि घर में बगीचा एक संसाधन के रूप में गरीब किसानों और कमजोर जनसंख्या समूहों के लिए गरीबी कम करने की रणनीति हो सकती है। इससे घरेलू उद्यानों को अपनाने वालों के बीच खाद्य सुरक्षा के बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
उन्होंने कहा, घर में बगीचा होने से मासिक प्रति व्यक्ति आय में 37 फीसदी की वृद्धि हुई और गरीबी के प्रसार में 11.7 प्रतिशत की कमी आई।
घर में बगीचों का उज्ज्वल भविष्य
एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल और सीआईएटी के कृषि अर्थशास्त्री, सह-शोधकर्ता जोनाथन मॉकशेल ने कहा कि 2017 में ओडिशा में आर्थिक रूप से कमजोर आबादी को पढ़ाने या घर के बगीचों में सुधार करने के उद्देश्य से कार्यक्रम शुरू किए गए। 2020 और 2021 के बीच घर में बगीचों के तीन चौथाई को पूरा किया गया।
मॉकशेल ने कहा, गृह उद्यान पोषण में सुधार के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन जैसे सरकारी कार्यक्रमों के लिए भी अहम हो सकते हैं और सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि में भी योगदान दे सकते हैं, विशेष रूप से गरीबी, शून्य भूख और अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित लक्ष्यों को लेकर भी अहम है।
सह-अध्ययनकर्ता जेम्स गैरेट ने कहा, भारत में घर के बगीचों को बढ़ावा देने से महिलाओं में एनीमिया जैसी व्यापक कुपोषण की समस्याओं पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है। आहार की गुणवत्ता में सुधार करके जो आम तौर पर इनमें कम विविधता होती है। अनाज का उपयोग अधिक किया जाता है जबकि फलों और सब्जियों का सेवन कम होता है।
भारत में एक कार्यक्रम का लक्ष्य घर में बगीचों को बढ़ाने के साथ 27,300 से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचना है ताकि अत्यधिक पौष्टिक घर पर निर्मित खाद्य पदार्थों का उत्पादन और खपत बढ़ाने में मदद मिल सके। ताकि इससे उनके आहार की गुणवत्ता में सुधार करके उनके भोजन और पोषण सुरक्षा में सुधार किया जा सके।
शोध में कहा गया कि यह, नवीनतम शोध एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल और सीआईएटी और राष्ट्रीय नीतियों और रणनीतियों पर एक सीजीआईएआर पहल का एक हिस्सा है, जो घर के बगीचों के फायदों पर शोध साक्ष्य को जोड़ने के लिए नीति बनाने, खाद्य प्रणालियों को बढ़ाने में योगदान करने के लिए है। यह शोध एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल और सीआईएटी के कृषि अर्थशास्त्र जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स में प्रकाशित किया गया है।