एनजीटी ने 20 जुलाई, 2020 को एक आदेश जारी किया है| जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वो कासगंज जिले में पेड़ों की हो रही कटाई पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करे|
यह आदेश सत्यनारायण उपाध्याय की ओर से दायर अर्जी के बाद आया है। उन्होंने कहा था कि राज्य सोरेन से एटा और सोरोन से पटियाली तक सड़कों को चौंड़ा कर रहा है| जिसके लिए सोरोन से एटा के बीच में सड़कों पर लगे 3000 पेड़ काट दिए गए हैं| जबकि सोरोन से पटियाली के बीच अभी और 7230 पेड़ों को काटने की योजना है|
एनजीटी के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सोनम फेंटसो वांग्दी की पीठ ने जल स्रोतों में डाले जा रहे सीवेज का मामला उठाया है| मामला उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के निवाड़ी शहर का है| जहां सीवेज को बिना ट्रीटमेंट के जल स्रोतों में डाला जा रहा है| जिससे शहर में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है| यहां ऊपरी गंगा नहर और तालाबों में भी कचरे को डाला जा रहा है|
इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साइट का निरीक्षण करने के बाद 4 फरवरी को अपनी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की थी। यहां मौजूद कमियों को देखते हुए रिपोर्ट ने कुछ जरुरी कदम उठाने की सिफारिश की है:
16 जुलाई को निवाड़ी की नगर पंचायत ने इसपर की गई कार्रवाई से जुडी एक रिपोर्ट सबमिट की है| जिसमें कहा गया है कि तालाबों को जोड़ने वाले नालों में से एक की सफाई कर दी गई है| साथ ही तालाब के आसपास उगे खरपतवार को हटाने का काम शुरू हो गया है। एक अन्य तालाब के पानी को एक नाले में डाला गया था और फाइटोर्मेडिमेशन प्रक्रिया की योजना बनाई जा रही है।
एक तीसरा तालाब से गाद निकली जा रही है और एक दीवार के निर्माण का काम पूरा हो चुका है। इसके साथ ही जल स्रोतों के पास जो कारखाना प्रदूषण फैला रहा था उसे बंद कर दिया गया है| साथ ही रिपोर्ट के अनुसार ठोस अपशिष्ट को एकत्र करके उससे खाद बनाई जा चुकी है|
इसके साथ ही एनजीटी ने न्यायमूर्ति एसवीएस राठौड़ की अध्यक्षता वाली जांच समिति गठित की है| जिसे तीन महीने के बाद कार्य की स्थिति को देखने और मामले पर अपनी स्वतंत्र रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।