खुले में शौच मुक्त नहीं हुआ है भारत, एनएसएसओ की रिपोर्ट में खुलासा

दो अक्टूबर 2019 को प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि ग्रामीण भारत में 100 फीसदी घरों में शौचालय बन गए हैं, लेकिन एनएसएसओ की रिपोर्ट ने इसके विपरीत आंकड़े जारी किए हैं
एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में 71.3 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। फोटो: विकास चौधरी
एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में 71.3 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। फोटो: विकास चौधरी
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2 अक्टूबर 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भव्य समारोह में कहा था कि ग्रामीण भारत ने खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है। इसका मतलब था कि हर ग्रामीण घर में शौचालय है, लेकिन नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में सरकार के आंकड़ों के विपरीत दावा किया है। एनएसएसओ के आंकड़े बताते हैं कि 71.3 प्रतिशत घरों में ही शौचालय है। यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री के 2 अक्टूबर के कार्यक्रम से पहले निर्धारित की गई थी, जहां उन्हें भारत को खुले में शौच मुक्त घोषित करना था। डाउन टू अर्थ ने पहले ही इस देरी की रिपोर्ट की थी  । 

एनएसएसओ द्वारा किए गए आधिकारिक सर्वेक्षण के बाद नवीनतम रिपोर्ट “ भारत में पेयजल, स्वच्छता और आवास की स्थिति” जारी की है। इसमें पिछले छह वर्षों (एनएसओ 2012 से एनएसओ 2018) का अध्ययन किया गया है और कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों की संख्या में 57 फीसदी वृद्धि हुई है।

इस सर्वे में स्वच्छ भारत मिशन की जमीनी हकीकत बयां की गई है, जो 2 अक्टूबर 2019 को किए गए सरकार के दावे से अलग है।

स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हो सकता है कि एनएसओ के आंकड़े सरकार के आंकड़े से भिन्न हो सकते हैं, लेकिन शौचालयों के इस्तेमाल को लेकर लोगों में जागरूकता जरूर बढ़ी है। इसमें कुछ कमी हो सकती है, लेकिन समय के साथ हम इस खाई को पाट लेंगे।

रिपोर्ट में खास तौर पर कहा गया है कि जब लोगों से शौचालयों को लेकर सवाल पूछा गया तो हो सकता है कि लोगों ने पूर्वाग्रह के तहत जवाब दिया हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में 50.9 फीसदी घरों में सेप्टिक टैंक में फ्लश / पाउर-फ्लश का इस्तेमाल किया जाता था। ग्रामीण क्षेत्र में जिन घरों में शौचालय है, उनमें लगभग 94.7 प्रतिशत पुरुष और 95.7 प्रतिशत महिलाएं नियमित रूप से शौचालय का इस्तेमाल करती है। जबकि शहर क्षेत्र में 98  प्रतिशत पुरुष और 98.1 प्रतिशत महिलाएं नियमित रूप से शौचालयों का इस्तेमाल करती हैं।

एनएसएसओ रिपोर्ट में पहली बार शौचालय का उपयोग नहीं करने के कारणों के बारे में बात की गई है। इसमें कई दिलचस्प पहलू सामने आए हैं। शौचालय इस्तेमाल न करने का सबसे बड़ा कारण पानी की कमी है। जबकि जागरूकता पर अच्छा खासा पैसा खर्च किए जाने के बावजूद पाया गया कि घर में शौचालय होने के बावजूद लोग इस्तेमाल नहीं करते। ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 3.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग 1.7 प्रतिशत लोग घर में शौचालय होने के बावजूद इस्तेमाल नहीं करते। लगभग 9.9 प्रतिशत ग्रामीण लोगों ने कहा कि शौचालय होने के बावजूद पानी न होने के कारण वे इस्तेमाल नहीं करते। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 48.0 प्रतिशत घरों में और शहरी क्षेत्रों में लगभग 86.1 प्रतिशत घरों में बाथरूम और शौचालय दोनों घरेलू परिसर में हैं।

इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि देश में शौचालयों की संख्या बढ़ी है और शौचालय का इस्तेमाल भी बढ़ा है, जो लगभग असंभव लक्ष्य को हासिल करने जैसा है।

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