कोविड-19 के कारण गरीबी की दलदल में धंसे 15 करोड़ बच्चे: यूनिसेफ

यूनिसेफ का कहना है कि आने वाले महीनों में यह स्थिति और बदतर हो सकती है
यूनिसेफ का विश्लेषण बताता है कि लॉकडाउन का बच्चों पर बड़ा असर पड़ा है। फोटो: विकास चौधरी
यूनिसेफ का विश्लेषण बताता है कि लॉकडाउन का बच्चों पर बड़ा असर पड़ा है। फोटो: विकास चौधरी
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कोविड-19 की महामारी शुरू होने के बाद विश्वभर में 15 करोड़ बच्चे गरीबी के दलदल में फंस गए हैं। इससे दुनियाभर में गरीबी में रह रहे बच्चों की संख्या करीब 1.2 अरब हो गई है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और बच्चों के अधिकारों पर काम कर रहे संगठन सेव दी चिल्ड्रन की एक विश्लेषण रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट 17 सितंबर को जारी की गई है। इस विश्लेषण के मुताबिक अलग-अलग प्रकार की गरीबी में रह रहे ऐसे बच्चे, जिनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, घर, पोषण, साफ-सफाई और पानी तक तक पहुंच नहीं है, कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से उनकी संख्या 15 फीसदी बढ़ गई है।

यूनिसेफ ने एक बयान में कहा कि विविध प्रकार की गरीबी के आकलन में 70 देशों के शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आवास, पोषण, स्वच्छता और पानी के उपयोग के आंकड़े शामिल हैं। इसमें पता चला कि इनमें से करीब 45 फीसदी बच्चे इन जरूरतों में से कम से कम एक से वंचित हैं।

यूनिसेफ का कहना है कि आने वाले महीनों में यह स्थिति और बदतर हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक अधिक संख्या में बच्चे गरीबी का सामना कर रहे हैं, इसके अलावा जो पहले से गरीब हैं, वे बच्चे और अधिक गरीब हो रहे हैं।

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोरे का कहना है कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण लाखों बच्चे और अधिक गरीबी की स्थिति में चले गए। अधिक चिंता की बात यह है कि अभी इस संकट की शुरुआत हुई है।

सेव दी चिल्ड्रन की सीईओ इंगर एशिंग ने कहा कि अब और अधिक बच्चे स्कूल, दवा, भोजन, जल और आवास जैसी बुनियादी जरूरतों से वंचित न हों इसके लिए देशों को तत्काल कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 आपदा के दौरान शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जो एक बड़ी चिंता का कारण है।

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