कच्ची सड़कों को मामूली नुकसान पहुंच सकता है। जलभराव के कारण कुछ क्षेत्रों में बागवानी और खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई है। 
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फेंगल चक्रवात: दक्षिण के तटीय इलाकों में भयंकर बारिश के चलते नुकसान का अंदेशा

आज, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल के अलग-अलग हिस्सों में वज्रपात होने तथा तूफानी हवाओं के साथ बहुत भारी से भयंकर बारिश की आशंका जताई गई है, इन हिस्सों में 20 सेमी (200 मिमी) से अधिक बरस सकते हैं बादल।

Dayanidhi

मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उससे सटे पूर्वी भूमध्यरेखीय हिंद महासागर पर बना दबाव पिछले छह घंटों के दौरान 18 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ गया है। यह कल, 25 नवंबर को उसी क्षेत्र में बना हुआ था। यह त्रिंकोमाली से लगभग 450 किमी दक्षिण-दक्षिण-पूर्व, नागपट्टिनम से 740 किमी दक्षिण-दक्षिण-पूर्व, पुडुचेरी से 860 किमी दक्षिण-दक्षिण-पूर्व और चेन्नई से 940 किमी दक्षिण-दक्षिण-पूर्व में जारी है।

इसके अगले 12 घंटों के दौरान उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और एक गहरे दबाव में तब्दील होकर और खतरनाक होने के आसार हैं। इसके बाद, अगले दो दिनों के दौरान इसके उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर श्रीलंका-तमिलनाडु तटों की ओर बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।

तूफानी गतिविधि के चलते 29 नवंबर तक तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी में, 27 नवंबर तक केरल और माहे में, 26 से 29 नवंबर के दौरान दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश और यनम तथा रायलसीमा के कुछ हिस्सों में तूफानी हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश तथा बिजली गिरने की आशंका जताई गई है

वहीं 26 और 27 नवंबर को तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी के कुछ हिस्सों में तूफानी हवाओं के साथ बहुत भारी से भयंकर बारिश और कुछ इलाकों में भारी बारिश होने के आसार हैं। इन इलाकों के कुछ हिस्सों में 30 नवंबर तक भारी से भयंकर बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है

26 से 28 नवंबर के दौरान केरल और माहे के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश होने की आशंका जताई गई है, जबकि 26 से 29 नवंबर के दौरान दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश और यनम में जमकर बरसेंगे बादल।

वहीं मौसम विभाग ने आज, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल के अलग-अलग हिस्सों में वज्रपात होने तथा तूफानी हवाओं के साथ बहुत भारी से भयंकर बारिश की आशंका जताई गई है, इन हिस्सों में 20 सेमी (200 मिमी) से अधिक बरस सकते हैं बादल।

तूफानी गतिविधि के चलते समुद्र में समुद्र में उथल-पुथल

तूफानी गतिविधि के चलते आज दक्षिण केरल तट, मन्नार की खाड़ी, कोमोरिन क्षेत्र, दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और दक्षिण-पूर्व तथा पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी से सटे हिस्सों, श्रीलंका तट, तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटों पर 35 से 45 किमी प्रति घंटे की दर से चलने वाली तूफानी हवाओं के और तेज होकर 55 किमी प्रति घंटे की दर तक पहुंचने के आसार हैं।

वहीं आज, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी के कई इलाकों तथा समुद्र तट के पास 45 से 55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली भयंकर तूफानी हवाओं में इजाफा होकर 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार में तब्दील होने की आशंका जताई गई है।

आज, श्रीलंका तट से दूर दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में 55 से 65 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली भयंकर तूफानी हवाओं के और तेज होकर 75 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचने का अंदेशा जताया गया है।

भयंकर तूफानी हवाओं को देखते हुए मौसम विभाग ने मछुआरों को इन इलाकों में मछली पकड़ने या किसी तरह के व्यापार से संबंधित काम के लिए न जाने की चेतावनी जारी की है।

तूफान के चलते नुकसान की आशंका

मौसम विभाग ने कहा है कि तमिलनाडु के तटीय इलाकों, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश में तूफान का भारी असर पड़ सकता है। विभाग ने कहा है कि सड़कों पर बाढ़, निचले इलाकों में जलभराव और मुख्य रूप से शहरी इलाकों में अंडरपास बंद हो सकते हैं।

भारी बारिश के कारण दृश्यता में कमी आने का भी अंदेशा जताया गया है। सड़कों पर जलभराव के कारण प्रमुख शहरों में यातायात बाधित हो सकता है, जिससे यात्रा का समय बढ़ सकता है। कच्ची सड़कों को मामूली नुकसान पहुंच सकता है। जलभराव के कारण कुछ क्षेत्रों में बागवानी और खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई है।

फसलों को बचाने के लिए किसानों को मौसम विभाग ने सलाह

तूफान के चलते तमिलनाडु-पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों के किसानों को मौसम विभाग ने सलाह जारी की है, विभाग ने कहा है कि चावल, कपास, गन्ना, हल्दी और सब्जियों के खेतों, नारियल और केले के बागों से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था करें। गन्ने की फसल को सहारा देने की व्यवस्था करें। केले के पौधों को गिरने से बचाने के लिए उन्हें बाहर से सपोर्ट देने की बात कही गई है।

साथ ही मौसम विभाग ने कहा है कि पकी हुई फसलों को सुरक्षित जगहों पर रखने, बागवानी फसलों को बाहर से सहायता देने और सब्जियों को भी बाहर से सहारा देने की सलाह दी गई है।